आधुनिक वेसेल हार्वेसिंग प्रक्रिया से सीएबीजी मरीजों की आयु बढ सकती है

 मेरठ। कार्डियक बायपास सर्जरी के लिये वेसेल हार्वेस्टिंग के क्षेत्र में हुई हाल में तरक्की नपे मरीजों की बेहतर और जोखिम रहित जीवन जीने की राह को आसान कर दिया है। पहले धमनी से किसी तरह की सर्जरी बहुत जटिल और अत्यत परिशुद्घता वाली सर्जरी मानी जाती थी लेकिन अब इससे भी बेहतर परिशुद्घता वाली हार्माेनिक स्काल्पेल तकनीक ने इस सर्जरी में आश्चयचकित बदलाव लाया है।





मैक्स हास्पिटल सीटीवीएस विभाग के निदेशक और प्रमुख डा वैभव मिश्रा इस सर्जरी से अवगत कराया जो उन्होंने मेरठ क्षेत्र के दो मरीजों पर उपयोग की। साथ ही मरीजों ने सर्जरी कराने के बाद अपने अनुभव को श्ेायर किया। उन्होने बताया इस तरीके से होने वाली सर्जरी 15-20 साल से अधिक समय तक चलती है। इन मरीजों पर भी बहुत अच्छा असर हुआ है। सर्जरी मेंं अलग से खून चढाये बिना सर्जरी के बाद पांच दिन बाद अपने घर चले गये। उन्होने बताया परम्परागत रूप से इन धमनियों क ी इलेक्ट्रोकाउटरी के इस्तेमाल से हार्वेस्टिंग की जाती है। और इसमें लगने वाली क्लिप कई बार संर्कीर्ण ,दागदार और सूजन का कारण बन जाती है। हार्मोनिक स्काल्पेल एक ऐसा डिवाइस है। जो टिश्यू काटने और इकटटा करने के लिये हाई फ्रिकें व्सी वाली अल्ट्रासोनिक तरंगों का इस्तेमाल करता है। इससे न सिर्फ आसपास के टिश्यू को कम से कम नुकसान पहुंचता है। बल्कि इसमें क्लिप लगाने की भी जरूरत नहीं पडती है। हार्मोनिक हुक के इस्तेमाल से होने वाली सर्जरी में क्ल्पि नही लगती और नसों को जोडने के लिये इसे कभी आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है। इस तकनीक में थर्मल या यात्रिक नुकसान की भी कोई संभावना नहीं है और बेहतर परिणाम निकलता है।
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