Exclusive: सीनियर पल्मनोलॉजिस्ट ने कहा- 50+ म्‍यूटेशन होने के बावजूद फेफड़ों को प्रभावित नहीं करता ओमिक्रोन वेरिएंट

  

देश में कोरोना संक्रमण के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। आए दिन लाखों लोग कोविड पॉजिटिव आ रहे हैं, तो वहीं कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन के मामलों में भी उछाल देखा जा रहा है। कई राज्य ऐसे हैं, जहां ओमिक्रोन से संक्रमितों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। हालांकि, डॉक्‍टर्स और कई रिसर्च के मुताबिक, अच्‍छी खबर ये है कि भले ही ओमिक्रोन वेरिएंट बहुत तेजी से फैल रहा है, लेकिन ये कोरोना के अन्‍य वेरिएंट के मुकाबले कम खतरनाक है। मैक्स हॉस्पिटल (वैशाली) के एसोशिएट डायरेक्टर, पल्मनोलॉजी डॉ. शरद जोशी (Dr. Sharad Joshi, Associate Director, Pulmonology, Max Hospital, Vaishali) ने हमारे साथ खास बातचीत में कहा है कि ओमिक्रोन वेरिएंट एक व्‍यक्ति से दूसरे व्‍यक्ति में बहुत तेजी से तो फैल रहा है, लेकिन ये रेस्पिरेटरी सिस्‍टम को प्रभावित नहीं करता है यानि कि डेल्‍टा वेरिएंट की तरह ओमिक्रोन वेरिएंट फेफड़ों को नुकसान नहीं पहुंचा रहा है।

क्या होता है वायरस का म्यूटेशन?

म्यूटेशन का मतलब है कि वायरस के जेनेटिक सीक्वेंस के स्ट्रक्चर में बदलाव होना। डॉक्‍टर कहते हैं "हमने अब तक कोरोना की पहली, दूसरी लहर देखी है। दूसरी लहर में डेल्टा वेरिएंट से काफी नुकसान हुआ था। यह काफी खतरनाक, संक्रामक और फेफड़ों के लिए काफी घातक था। डेल्टा रेस्पिरेटरी सिस्टम को काफी नुकसान पहुंचाने वाला वेरिएंट साबित हुआ था। कई मरीजों के फेफड़े इससे बुरी तरह से प्रभावित हुए थे। कोरोना से ठीक होने के 5-6 महीने बाद भी मरीजों को फेफड़ों से संबंधित समस्याएं, फाइब्रोसिस देखने को मिलीं। जहां तक कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन की बात है, तो 50+ म्‍यूटेशन होने के बावजूद यह फेफड़ों को प्रभावित नहीं करता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि म्यूटेशन एक रैंडम प्रॉसेस है। वायरस के जेनेटिक स्ट्रक्चर में रैंडम बदलाव के कारण ये खास तरह की विशेषताओं को प्राप्त कर लेता है।" ऐसे में ओमिक्रोन वेरिएंट एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को बहुत तेजी से संक्रमित तो करता है, लेकिन यह लोअर रेस्पिरेटरी सिस्टम में नहीं पहुंचता है, क्योंकि इसकी अलग विशेषता होती है, जिसके कारण यह फेफड़ों को नुकसान नहीं पहुंचा रहा है।