आजकल के बच्चे नशा करते हैं जिस कारण यह बीमारी युवाओं में बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि इससे बचने के लिए योग, व्यायाम करे और अपने शरीर को स्वस्थ रखें, अपने खान-पान का ध्यान रखने के साथ-साथ स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखना जरूरी है। उन्होंने स्ट्रोक के बारे में बताते हुए कहा कि स्ट्रोक के लक्षणों जैसे चेहरे में फर्क आना, बांहों में कमजोरी, बोलने में समस्या समझना बेहद जरूरी है। स्ट्रोक के मामले में एक मिनट की भी देरी ब्रेन को नुकसान पहुंचाने का काम करती है। स्ट्रोक पड़ने के छह घंटे के भीतर मरीज को अस्पताल पहुंचना चाहिए, इस टाइम को गोल्डन विंडो कहते हैं. अगर गोल्डन विंडो में मरीज को मेडिकल हेल्प नहीं मिलती है तो इस तरह के 80 फीसदी मामलों में मरीज पूरी तरह से दिव्यांग हो जाता है।
स्ट्रोक आने का मुख्य कारण लाइफ स्टाइल में बदलाव
Tuesday, August 29, 2023
स्ट्रोक के मामलों में शुरुआती लक्षणों को समझना और इसके लेटेस्ट इलाज से जुड़ी जानकारियां लोगों तक पहुंचाने के मकसद से मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल शालीमार बाग ने पत्रकारवार्ता को संबोधित किया। डॉक्टर के.के जिंदल व डॉक्टर शैलेश जैन ने पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि स्ट्रोक पड़ने के बाद इसके लक्षणों को सही वक्त पर समझना और फिर किसी अस्पताल में टाइम पर पहुंचने से स्ट्रोक के मरीज के लिए पूरी तस्वीर बदल सकते हैं। उन्होंने कहा कि पहले हम इसे ओल्ड ऐज की बीमारी मानते थे, आजकल यंग स्ट्रोक 40-45 से कम आयु के लोगों में पाया जाता है। इसका मुख्य कारण है कि लोगों की लाइफ स्टाइल बदल गई है।
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