पटना: हार्ट हेल्थ हमारे ओवरऑल वेल्बीइंग का सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है। अधिकांश लोग हार्ट अटैक के बारे में जानते हैं, लेकिन एक और स्थिति है जो और भी अचानक और जानलेवा हो सकती है सड़न कार्डियक अरेस्ट। अक्सर लोग हार्ट अटैक और सड़न कार्डियक अरेस्ट को एक जैसा मान लेते हैं, जबकि दोनों अलग हैं।
हार्ट अटैक तब होता है जब हृदय की आर्टरीज़ में ब्लड फ्लो अवरुद्ध हो जाता है, जिससे सीने में दर्द और हृदय की मांसपेशियों को नुकसान होता है। इसके विपरीत, अचानक हृदयगति रुकने पर हृदय का इलेक्ट्रिकल सिस्टमगड़ बड़ा जाता है और हृदय बहुत तेज़ या अनियमित गति से धड़कने लगता है। इससे हृदय का पंप करने का कार्य अचानक बंद हो जाता है। बिना तुरंत मदद के, यह स्थिति कुछ ही मिनटों में जानलेवा हो सकती है।
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, द्वारका के कार्डियोलॉजी विभाग के एचओडी एवं इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी विभाग के प्रिंसिपल डायरेक्टर डॉ. बिपिन कुमार दुबे ने बताया कि “अचानक हृदयगति रुकने की सबसे भयावह बात यह है कि यह बिना किसी चेतावनी के हो सकता है। व्यक्ति अचानक गिर सकता है, बेहोश हो सकता है और सांस लेना बंद कर सकता है। ऐसे समय में हर सेकंड कीमती होता है। सार्वजनिक स्थानों पर सीपीआर और एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर कई जिंदगियां बचा सकते हैं, लेकिन उच्च-जोखिम वाले मरीजों को एक निरंतर और भरोसेमंद सुरक्षा की आवश्यकता होती है। यहीं पर ऑटोमैटिक इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफिब्रिलेटर (AICD) मदद करता है। एआईसीडी एक छोटा उपकरण है जिसे त्वचा के नीचे, सामान्यतः छाती के पास लगाया जाता है। यह लगातार हृदय की धड़कन की निगरानी करता है और यदि यह कोई खतरनाक लय पकड़ता है तो तुरंत एक हल्का विद्युत झटका देकर हृदय की धड़कन को सामान्य कर देता है। इसे ऐसे समझें जैसे आपके हृदय के लिए एक “रक्षक देवदूत” हो, जो हर समय सतर्क रहे और सेकंडों में कार्रवाई करे—चाहे आप सो रहे हों, घर पर अकेले हों या चिकित्सा सहायता से दूर हों।“
डॉक्टर आमतौर पर एआईसीडी उन लोगों को लगाने की सलाह देते हैं जिन्होंने पहले अचानक हृदयगति रुकने से बचाव किया हो, जिनका हृदय पंप करने की क्षमता बहुत कमजोर हो, या जिन्हें ऐसे हृदय रोग हों जिनमें खतरनाक धड़कनें (arrhythmias) होने का खतरा ज़्यादा हो। बड़े अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों से यह साबित हुआ है कि एआईसीडी वाले मरीजों की आयु अधिक होती है और वे अचानक मृत्यु के ख़तरे से बेहतर सुरक्षित रहते हैं।
बेशक, किसी भी चिकित्सा उपकरण की तरह एआईसीडी के साथ भी कुछ चुनौतियां आती हैं—इसकी नियमित निगरानी, समय-समय पर चेकअप और इम्प्लांट साइट की देखभाल आवश्यक होती है। कभी-कभी यह बिना ज़रूरत के भी झटका दे सकता है या तकनीकी दिक्कत आ सकती है। लेकिन समग्र रूप से देखें तो उच्च जोखिम वाले मरीजों के लिए इसके लाभ जोखिमों से कहीं अधिक हैं।
सबसे बड़ा संदेश जागरूकता और रोकथाम का है। नियमित हृदय जांच, स्वस्थ जीवनशैली और समय पर कार्डियोलॉजिस्ट से परामर्श लेने से उच्च जोखिम वाले लोगों की पहचान जल्दी की जा सकती है। यदि आपका डॉक्टर एआईसीडी लगाने की सलाह देता है, तो यह समझना ज़रूरी है कि यह केवल तकनीक नहीं, बल्कि एक जीवनरक्षक साधन है जो आपको और आपके परिवार को मानसिक सुकून दे सकता है।
अचानक हृदयगति रुकना अप्रत्याशित होता है, लेकिन एआईसीडी वह सुरक्षा प्रदान करता है जो जीवन और मृत्यु के बीच का अंतर साबित हो सकता है।